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Centre for Brahmavidya, Chennai

Yog Sakshatkar Tatha Jeevanmukti

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परमपूज्य जगद्गुरु शङ्कराचार्य अनन्तश्री-विभूषित अभिनव विद्यातीर्थ महास्वामी जी (गुरुजी) श्री शङ्कर भगवत्पाद जी द्वारा स्थापित शृङ्गेरी श्री शारदा पीठ के 35वें पीठाधीश्वर के रूप में...

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परमपूज्य जगद्गुरु शङ्कराचार्य अनन्तश्री-विभूषित अभिनव विद्यातीर्थ महास्वामी जी (गुरुजी) श्री शङ्कर भगवत्पाद जी द्वारा स्थापित शृङ्गेरी श्री शारदा पीठ के 35वें पीठाधीश्वर के रूप में विराजमान थे। उन्हें अपने गुरु परम-विरक्त तथा जीवन्मुक्त (जीवित रहते हुए संसार बन्धन से मुक्त) परमपूज्य जगदगुरु अनन्तश्री-विभूषित चन्द्रशेखर भारती महास्वामी जी ने संन्यास दीक्षा से अनुगृहीत किया। गुरुजी स्वयं भगवान से और अपने गुरु से मार्गदर्शन प्राप्त करके, अपनी संन्यास दीक्षा के दिन से ही तीव्र आध्यात्मिक साधनाओं में लगे रहे और 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर कुछ ही दिनों में साक्षात्कार प्राप्त करके, परब्रह्म में प्रतिष्ठित रहे। गुरुजी के हठ-योग, भक्ति, कर्म-योग, कुण्डलिनी-योग, नादानुसन्धान, आत्म-चिन्तन, भगवान के दिव्य रूपों पर ध्यान एवं समाधि, शास्त्रों के आधार पर तत्त्व का मनन, परब्रह्म पर सविकल्प-समाधि तथा निर्विकल्प-समाधि (योग की पराकाष्ठा), अनात्म-वासनओं का उन्मूलन, ब्रह्म-साक्षात्कार और जीवन्मुक्ति — ये सभी विषय विस्तृत रूप से इस ग्रन्थ में वर्णित हैं। शास्त्रों और अन्य प्रामाणिक ग्रन्थों की पङ्क्तियाँ तथा गुरुजी के अपने ही स्पष्टीकरण जहाँ - तहाँ अन्तर्विष्ट किए गए हैं। इस प्रकार यह ‘योग, साक्षात्कार तथा जीवन्मुक्ति’ संग्रह योग व वेदान्त तत्त्वों का यथार्थ प्रतिपादक अनोखा ग्रन्थ है।

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Publisher: Centre for Brahmavidya, Chennai
Language: Hindi
Pages: 247
Weight: 460 g
Type: Books
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Binding: Paperback
Availability: In Stock

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